तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं,तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं,...
बचपन के दिनों में जब में १० वि क्लास में था तब ये गीत में और मेरा फ्रेंड कुंदन सिंह बोरा बहुत सुना करते थे। आज इस घटिया जगह काम करते हुए जब मेरा मन उदास है जब मुझे बहुत अकेला पण महसूस हो रहा है तब न जाने कहा से मेरे मन में ये गीत बार बार अपने आप ही बज सा रहा है ।
मेरा मन बार बार इसे गुनगुनाने को को कर रहा है तो मैंने सोचा दोस्तों , क्यों न में इसे अपने ब्लॉग पे ही चिपका दू। आओ हम साथ मिल के इसे गुनगुनाएं । मैंने इसके बोल जहा तक है सही लिखने की कोशिस की है फिर भी किसी गलती के लिए माफ़ करना । ये गीत मेरे दिल के बहुत ही करीब है ...
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं,
हैरान हूं मैं..
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं,
परेशान हूं मैं..
जीने के लिये सोचा ही नहीं, दर्द संभालने होंगे..
मुस्कुराए तो, मुस्कुराने के कर्ज उतारने होंगे..
मुस्कुराए कभी तो लगता है, जैसे होंठों पे कर्ज रखा हो..
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं,हैरान हूं मैं..
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं,
परेशान हूं मैं..
जिंदगी तेरे गम ने हमें रिश्ते नये समझाये..
मिले जो हमें, धूप में मिले, छांव के ठंडे साये..
ला ला ला, ला ला ला ला...............
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं,
हैरान हूं मैं..
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं,
परेशान हूं मैं..
आज अगर भर आयी हैं, बूंदे बरस जाएगी..
कल क्या पता इन के लिये, आंखे तरस जाएगी..
जाने कब गुम हुआ, कहां खोया, एक आंसू बचा के रखा था..
तुझसे नाराज नहीं जिंदगी हैरान हूं मैं,
हैरान हूं मैं..
तेरे मासूम सवालों से परेशान हूं मैं,
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