नए वर्ष के प्रथम चरण में
लिखना प्रारंभ किया कविता
कविता मेरे विचारो की जैसे
हिमालय की हो सरिता
इस नए साल में उम्मीदों का
बुनना है नया ताना बाना
ढूँढना है उस रास्ते को
जिस से मैं हु अंजना
वो रास्ता जो पहुंचा दे मुझको मेरी मंजिल तक
जो जाने कहाँ है मेरी, इन आँखों से ओझिल
जिसकी राहों पे चलते चलते
पाऊँ हुए मेरे बोझिल
ऐ मित्र मेरे, ऐ सखी मेरी
मुझको अब जरुरत है तेरी,
तू सदात निभाना बस मेरा
मैं पा लूँगा मंजिल मेरी
मैं ढूंढ ही लूँगा अब उसको
मैं ढूंढ ही लूँगा उसका पता
नए वर्ष के प्रथम चरण में
लिखना प्रारंभ किया कविता...........
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